Sunday, April 26, 2020

भगवान बुद्ध के पूर्वज

 पूर्वज
      शाक्यों की राजधानी का नाम कलिपवस्तु था । हो सकता है कि इस नगर का यह नाम महान बुद्धिवादी मुनि कपिल के ही नाम पर पड़ा हों । कपिलवस्तु में जयसेन नाम का एक शाक्य रहता था । सिंह - हनु उसका पुत्र था । सिंह - हनु का विवाह कच्चाना से हुआ था । उसके पांच पुत्र थे । शुद्धोदन , धौतोदन , शुक्लोदन , शाक्योदन तथा अमितोदन । पांच पुत्रों के अतिरिक्त सिंह - हनु की दो लडकियाँ थी - अमिता तथा प्रमिता । परिवार का गोत्र आदित्य था । शुद्धोदन का विवाह महामाया के साथ हुआ था । उसे पिता का नाम अत्रजन तथा और माता का सुलक्षणा । अत्रजन कोलिय था और देवदह नाम की बस्ती में रहता था । शुद्धोदन बड़ा योद्धा था । जब शुद्धोदन ने अपनी वीरता का परिचय दिया तो उसे एक और विवाह करने की अनुमति मिल गई । उसने महाप्रजा - पति को चुना । महाप्रजापति महामाया की बड़ी बहन थी । शुद्धोदन बड़ा घनी आदमी था । उसके पास बहुत बड़े - बड़े खेत थे और नौकर - चाकर भी अनगिनत थे । कहा जात है कि अपने खेतों को जोतने के लिये उसे एक हजार हल चलवाने पड़ते थे । वह बड़े अमन - चैन की जिन्दगी बसर करता था । उसके कई महल थे ।

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